Friday, April 1, 2016

की एंड का

की एंड का : निर्देशक आर बाल्की का एक और मास्टर स्ट्रॉक
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जेंडर की कंडीशनिंग और स्टीरियोटाइप सोच के बीच खुद के अस्तित्व को ईमानदारी से समझनें के लिए की एंड का फ़िल्म मददगार साबित होती है। रिवर्स रोल के विषय पर एक बढ़िया हल्की फुलकी फ़िल्म आर बाल्की ने बनाई हैं।
मेल फीमेल ईगो को जॉब और होम के कॉन्टेक्स्ट में समझनें के लिए फ़िल्म रास्ते सुझाती है। वर्किंग वाइफ और हाउस केयर टेकर हस्बैंड के रिश्ते की महीन बुनावट फ़िल्म की बड़ी यूएसपी है।
जेंडर इक्वेलिटी जैसे सम्वेदनशील विषय को समझनें के लिए ट्रू लव का फ़िल्म में सहारा लिया गया है मगर ह्यूमन बिहेवियर की एक डायनामिक्स के रूप में ईगो और अटेंशन को भी बहुत बढ़िया सिनेमेटिक फॉर्म में दिखाया गया हैं।
फ़िल्म का एक अपना फ्लेवर है बहुत टेंश फ़िल्म कहीं नही होती है हंसाती भी है और खुद की तरफ सवाल करने का हौसला भी दे जाती है। की यानि किया और का यानि कबीर की केमेस्ट्री देख अच्छा लगता है।
की एंड का में टॉय ट्रेन का बढ़िया प्रतीकात्मक प्रयोग किया गया है दो पटरी और एक रेल घर की भावनात्मक संरचना भी लगभग ऐसी ही होती है।
मेल फीमेल की रोल आइडेंटिटी और ईगो फ्रिक्शन को फ़िल्म के जरिए आर पार देखा जा सकता है हालांकि फ़िल्म की केंद्रीय ऊर्जा अंकण्डीशनल लव है इसलिए की और का के लव की रेलगाड़ी कुछ सुनसान स्टेशनों से गुजरती हुई फाइनली अपने डेस्टिशन तक पहुँच ही जाती है।
फ़िल्म का संगीत भी बढ़िया ख्वाहिश है मजबूरी नही गाना मुझे बेहद पसन्द आया उम्मीद है आपको भी आएगा।
यदि थोड़ी फुरसत है तो देख आइए की एंड का अच्छा लगेगा खुद को भी और खुद के अंदर बैठे वाइस वर्सा करेक्टर को भी।